हरिहरपुरी कृत सवैया
हरिहरपुरी कृत सवैया
मन डोल रहा कुछ बोल रहा,अपने उर में कुछ घोल रहा।
कुछ तोल रहा कुछ मोल रहा,कुछ माप रहा कुछ खोल रहा।
कुछ चाह रहा कहना खुद से, खुद में बजता इक ढोल रहा।
अपनी सुनता अपनी करता, अपने मन का मन छोल रहा।
हरिहरपुरी कृत सवैया
कहना कुछ ना रहना छिप के, बचना सबसे चलना चुपके।
नित भाव प्रदर्शन से डरना, मत जंग चढ़ो रहना बचके।
कुछ बोल नहीं नित मौन रहो, शुभ काम करो हट के डट के।
प्रिय काम सदा शुभदा यशदा,हर काम करो हित में सबके।
Haaya meer
01-Jan-2023 09:28 PM
👌👌
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सीताराम साहू 'निर्मल'
01-Jan-2023 08:26 PM
बेहतरीन
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Muskan khan
01-Jan-2023 07:24 PM
Amazing
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